सूरजकुंड मेला : आटे व गुड़ से बनाई डिस्पोजल प्लेट

 


सूरजकुंड मेला : आटे व गुड़ से बनाई डिस्पोजल प्लेट


आटे व गुड़ से बनाई डिस्पोजल प्लेट
फरीदाबाद। अक्सर घर में कोई आयोजन या भंडारे के दौरान हमें थर्मोकोल की डिस्पोजल प्लेट आदि का प्रयोग करते हैं, जिन्हें प्रयोग के बाद में कूड़े में फेंक दिया जाता है। कूड़े के ढेर में इन प्लेटों को लावारिस पशु खा जाते हैं, जो उनके लिए नुकसानदायक होता है। पशुओं की सेहत व पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए फरीदाबाद की ही मोनिका शर्मा ने आटे व गुड़ से बनी डिस्पोजल प्लेट तैयार की हैं। इनमें खाना खाने के बाद कूड़े के ढेर में फेंकने पर इन्हें खाने से गोवंश को भी कोई नुकसान नहीं होगा और पर्यावरण भी साफ रहेगा। उनके इस अनूठे प्रयोग को सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में देखा जा सकता है। इसके अलावा मोनिका शर्मा रसोई घर के कूड़े से जैविक खाद भी तैयार कर रही हैं।
ह्यूमन काइंड फाउंडेशन संस्था की संचालिका मोनिका शर्मा ने बताया कूड़े के ढेर में अक्सर गोवंश को थर्माकोल की डिस्पोजल प्लेट आदि खाते देखकर परेशानी होती थी। काफी सोच विचार करने पर उनके दिमाग में गुड़ और आटे से डिस्पोजल प्लेट कटोरी बनाने का आइडिया आया। उन्होंने इस पर काम किया और प्रयोग के तौर पर गुड़ व आटे की प्लेट कटोरी आदि तैयार की हैं। उन्होंने बताया कि इस्तेमाल के बाद इसे चाहे तो पशुओं को खिलाया जा सकता है।
रसोई के कूड़े से बना रहीं जैविक खाद
मोनिका शर्मा ने बताया कि वे विगत पांच वर्षों से सब्जियों, फलों व फूलों के कचरे से जैविक खाद भी बना रही हैं। मेले में आने वाले दर्शकों को वे इसकी बनाने की विधि भी बताती हैं। मोनिका ने बताया कि वे कचरे को मिट्टी के बर्तनों में डालकर खाद तैयार करती हैं। इन बर्तनों को वे खासतौर पर हैदराबाद और राजस्थान के जोधपुर से मंगवाती हैं। फल व सब्जियों के कचरे को मिट्टी के बर्तन में डालकर उसे लकड़ी के बुरादे व सूखे पत्तों से ढक दिया जाता है। 10-12 दिन में ही जैविक खाद बन कर तैयार हो जाती है।