तबले की थाप पर बिखरे कथक के रंग

 


तबले की थाप पर बिखरे कथक के रंग


फरीदाबाद। सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले की चौपाल पर मंगलवार शाम को आयोजित सांस्कृतिक संध्या में कथक नर्तक जयंत कस्तूर और उनके शिष्यों ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया। तबले की थाप और घुंघरुओं की लय पर दर्शकों की तालियां भी ताल से ताल मिला रहीं थी। जयंत कस्तूर और शिष्यों ने अपनी नृत्य कला से दर्शकों को इस कदर बांध दिया कि कोई वहां से उठकर नहीं जा सका।
कथक नर्तक जयंत कस्तूर और उनके शिष्यों मयंक गंगानी, हीना वासेन, एस पुरोहित और सोनम चौहान ने कथक की प्रस्तुति से ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश को नमन किया। चौपाल की जगमगाती रोशनी के बीच जयंत कस्तूर की प्रस्तुति में भक्ति के रस देखने को मिले। इस दौरान योगेश गंगानी ने तबले की थाप और घुंघरुओं की जुगलबंदी ने सभी को तालियों से ताल देने पर मजबूर कर दिया। कथक नर्तक जयंत कस्तूर ने कहा कि कथक उनके लिए साधना की तरह है। कथक के लिए संगीत और साहित्य दोनों बेहद जरूरी है। संगीत से सुर और ताल मिलते हैं, वहीं साहित्य से भक्ति और श्रृंगार भाव मिलते हैं।